आसमान बुनती औरतें

अंतिम भाग (162)

विनय इतना कुछ कहने के बाद खामोश हो गया था कुछ राहत महसूस कर रहा है और हर्षा भी अपने ख्यालों में खोई हुई है। लेकिन दोनों के अंदर खामोशी ने नगाड़े बजाने शुरू कर दिये हैं इतना सब कुछ अपने अंदर दबाये हुए हैं लेकिन जिस अंदाज में विनय ने बयां किया है वह काबिले तारीफ है।

हर्षा सोचने पर मजबूर हो रही है कि उसने इतने सारे किस्से अपने आसपास बिखरे देखे हैं जहाँ पर कुछ पलों की दोस्ती में ही प्यार हो जाना और टूट जाना आम बात है वही इतनी गंभीरता से अपनी बात को रखना और धैर्य धारण करना विनय की काबिलियत ही है क्योंकि प्यार में उतावलापन और अधीरता दोनों ही हावी रहती है जिसमें अच्छे बुरे का कोई भाव नहीं आता वर्तमान में जो है, जैसा है उसे प्राप्त करने का मकसद रहता है न कोई भविष्य और न ही कोई वर्तमान की योजना होती है दोनों अगर एक दूसरे से अलग होते हैं तो दोनों यह सोच पाने में असमर्थ रहते हैं कि अगर साथ रहे तो रहेंगे कहाँ, कैसे जीवन गुजारेंगे, इन सब पर वह सोचना ही नहीं चाहते जबकि यह सत्य है और इसे जो स्वीकार नहीं करता है वह रिश्ता तो तोड़ता ही है दिल भी तोड़ देता है और दर्द का एक समंदर हिलोरे लेने लगता है, तमाम उम्र एक ऐसा जख्म लेकर जीते हैं जिसे वह किसी के सामने कह भी नहीं पाते और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं।

विनय आज अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझ रहा है उसने बहुत ही धैर्यपूर्वक अपनी बात रखी और होना भी यहीं चाहिए, हमारे सामने इंसान हैं वह हमारी कोई अचल संपत्ति नहीं है जिसे हम अपनी मर्जी से जब चाहे तब, जो चाहे वह कहे और करें, हमें अपना मान सम्मान खुद स्थापित करने के लिए अपने साथी का भी उतना ही सम्मान करना होता है यह रिश्ते वैसे भी बहुत नाजुक होते हैं जरा सी ठेस लगने पर टूटने का हमेशा डर बना रहता है।

किसी का भी दिल दुखाना कोई अच्छी बात नहीं होती, इतनी बद्दुआ मिलती है कि आपका घर संसार कभी भी बस नहीं सकता, जब हम यह बात समझते हैं, जानते हैं तो हम इस तरह की गलतियाँ कर कैसे लेते हैं यही तो मन मस्तिष्क को संतुलित करने का मौका होता है जहाँ आपको अपने को संतुलित करना है वही अपने साथी के लिए कभी भी ऐसे भाव आने नहीं देना है कि आपने उसके लिए कुछ किया है और आप मालिक है यह भाव जब भी मन में आयेंगा आपको हमेशा अहम नजर आयेगा लेकिन अगर आप यह भाव आने ही नहीं देंगे तो एक सामान्य इंसान की तरह आप अपने आपको भी समझेंगे और अगर आपका साथी आपका साथ दे रहा है तो उसके लिए आप कृतज्ञ भी रहेंगे।

दोनों ही अपने-अपने ख्यालों में इतने व्यस्त हैं कि समय का पता ही नहीं चला, बाहर कहीं कुछ खटका हुआ और पहले हर्षा चेतना में आई, उसने देखा विनय एक हाथ स्टेरिंग पर रखकर गहन सोच में डूबा हुआ है उसे यूँ बैठा देखकर आज हर्षा को ढेर सारा प्यार उमड़ आया, किस तरह और कितना इंतजार करेगा कोई और वह भी इतनी शालीनता से, सचमुच बहुत भाग्यशाली है जो विनय जैसा सुलझा हुआ समझदार व्यक्तित्व का धनी उसे ईश्वर के वरदान के रूप में मिला है, अब अगर वह इस धरोहर को नहीं संभालती है तो यह ईश्वर की मर्जी को ठुकराने जैसा ही होगा, हर्षा के अंदर प्यार के विस्फोट होने शुरू हो गये, उसे विनय पर खूब सारा प्यार आने लगा वह समझ नहीं पा रही थी कि व्यक्त कैसे करें, कुछ देर यूँ ही निहारती रहीं और जब अपने आप को नहीं सम्हाल पाई तो एक झटके में विनय को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया विनय इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार तो नहीं था सो घबरा गया, यह क्या हुआ, तब उसे धीमे स्वर में कुछ सुनाई दिया।

“आई लव यू विनय, मुझे माफ कर दो, मैंने बहुत इंतजार कराया मैं अपने दिल कि बात कह ही नहीं पा रही थी आई लव यू.. आई लव यू… ! बाहों के घेरे को छोड़कर विनय के दोनों हाथ थाम लिया और चूमती चली गई।

विनय हर्षा के बदहवास प्यार के हमले में गिरफ्तार होने लगा, देख रहा है कि हर्षा अपने अंदर का सारा प्यार का गुबार उड़ेलना चाहती है उसने खींचकर हर्षा को अपने गले से लगा लिया, जैसे ही विनय कि बाहों में आई प्यार के ज़लज़ले पर स्वीकृति कि मोहर लगती चली गई, उसने अपने आपको विनय के हवाले कर दिया, वह इस तरह हाफ रही है जैसे मिलो दौड़ कर आई है और किसी सुरक्षित बाहों में गहरी-गहरी साॅस ले रही है।

मिलन के संगम का यह अद्भुत नजारा, मानों आसमान से पुष्प वर्षा हो रही है, चांदनी अपनी धवल काया से वैभव लुटा रही है वहीं जुगनू मधुर संगीत सा लग रहा है पूरा ब्रम्हाड़ गुंजायमान हो रहा हैं, रास्ते से गुजरने वाले वाहन की ध्वनी शंख सी सुनाई दे रही है और बजते हुए मंदिर कि घंटी से पूरा वातावरण मदहोशी के आलम में बहका हुआ है दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं का इजहार कर रहे हैं। हर्षा को सुन पा रही है.. “मैं तुम्हें प्यार करता हूँ कई जन्मों से प्यार करता आ रहा हूँ तुम ही मेरा प्यार हो और मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूँ मैं तमाम उम्र इंतजार कर सकता हूँ क्योंकि तुम ही तुम हो मुझ में”…विनय ने अपने मुखारविंद से अपने प्यार कि प्रतिमूर्ति पर पुष्प चढ़ाये तो वहाँ से साक्ष्य के तौर पर सांसों के सरगम का रिदम साथ हो गया, जहाँ तमाम बाधाएँ बिखरी पड़ी हैं जमीन पर।

       ********जीवन मिलेगा नहीं दोबारा************

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