ग़ज़ल

आज उनसे यक-ब-यक मिलना हुआ,
ख्वाब बरसों का जो था सच्चा हुआ।

जो नसीबो की तरफ अक्सर तकें,
रास्ता उनको मिले काटा हुआ।

आज बदबूदार उस बस्ती में भी,
एक ओहदेदार का आज आना हुआ।

फूल तितली और फिर ठंडी हवा,
उस चमन का दिल है दीवाना हुआ।

चांदनी परचम उठाए रात का,
क्या पता कब सुबह का आना हुआ।

©A

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