धरा श्रृंगारफूले हैं कचनारयुग से काल। द्वेश न भरझरने सा बहतानिर्मल मन । शोक में बैठीसोचती लगातारजन्म हजार। तैयारी जारीशीत युद्ध से यारीजागती नारी। संगीत परथीरकती जिंदगीताल से मिली । … Read More
दर्द न सहोचोट देने से बचोंखुशी को चुनों। हौसला साथथामना ही पड़ेगाजीत के लिए वेदना मार्गखुशियाँ टहलतीसमेटो मिलती। लाख तुफानफ्रिर्क मत करनामन पक्का। मन्नत मानपूरी तो होगी हीकर्म तो करों। … Read More
फूल श्रृंगारप्रकृति सजे सदायुग और काल। जाग गई नारीशीत युद्ध तैयारीपड़ती भारी । जागे सपनेटूटता ऐ तारामांगते दुआ। चलते रहेपांव के छालेफूटने लगे। हमें ठुकरामनोबल गिरायाहाथ छुड़ाया। खांसी का दौरप्राण … Read More