मैं पीछे रह गया
कुछ पाने खोने
के खेल में
तमाम उम्र लगा दी
जोड़ घटा कर
बचा रखे जो
कुछ पल
साजिश से रची
चतुर चाल
फिर धोखे ने
कुछ बेईमानी
निगल ली
सब कुछ ठीक कि
चाह लिए रहे
सब भूल
चूक गए गिनती
सांसों की
कितनी है बाकी
बस रह गया कि
दिखा दे कैसे नीचा
ओर एक दिन
छोड़ के तमाम
बंधन चला गया वह
जिस पर इज्जत
की दुहाई देता
मैं पीछे रह गया
वह आगे निकल गया।
©A