आसमान बुनती औरतें
भाग (38) कुछ देर बाद हर्षा ने अपना दूसरा हाथ विनय के हाथ पर रख दिया जहाँ मौन स्वीकृति की मुहर लग गई। हर्षा ने बहुत हिम्मत करके विनय की … Read More
भाग (38) कुछ देर बाद हर्षा ने अपना दूसरा हाथ विनय के हाथ पर रख दिया जहाँ मौन स्वीकृति की मुहर लग गई। हर्षा ने बहुत हिम्मत करके विनय की … Read More
भाग (37) अपनी सहकर्मी को एक घंटे का कह कर हर्षा विनय के साथ चली गई। रास्ते में यूँ ही ऑफिस की छोटी बड़ी बातें होती रही। एक रिसोर्ट के … Read More
भाग (36) उसका पूरा ध्यान गेट की तरफ ही था राखी आज पता नहीं लेट क्यों हो रही है कहीं ऐसा तो नहीं हमें बता कर पछता रही हो या … Read More
भाग (35) इन सब में रानी मस्त है, उसने न तो ऐसा कोई झंझट पाल रखा और न ही उसे ऐसा कोई विशेष लगाव है किसी से, पता नहीं उसका … Read More
भाग (34) “ऐसा करते हैं राखी कि पहले उसे ठीक हो जाने देते हैं तब तक तू बात करती रह, इसके बाद उससे एक दिन स्पष्ट पूछ लेना.. स्नेहा ने … Read More
भाग (33) “देख राखी, आज तुझे यह निर्णय लेना पड़ेगा कि तू मुझे उस बंदे का नाम बताएगी और वह कब आता है यह भी बताएगी अगर तुझ से बात … Read More
भाग (32) समय यूं ही अपनी रफ्तार से गुजरता रहा, इस बीच विनय के मेहमान भी चले गए । रविवार आ गया, चारों सखियाँ अपने पिक्चर के प्रोग्राम को अंजाम … Read More
भाग (31) “सुन कुलवीर तेरे मामा का फोन आया है, वह किसी लड़के को भेज रहे हैं देख परख लेना अगर जमे तो हर्षा के लिए पसंद करने का बोल … Read More
भाग (30) शाम चार बजे फोन की घंटी बजी जिया ने रिसीवर उठाया कुछ कहती है उसके पहले ही आवाज आई। “हलो हर्षा, आप व्यस्त तो नहीं हो मैं बात … Read More
भाग (29) आज हर्षा ऑफिस पहुँचते ही टूरिस्ट बस चेक करने पहुँच गई , राखी को ढूंढती उसके केबिन में पहुँची , वैसे तो सभी को बेहतर व्यवस्था दी जाती … Read More