अगर तुम न होते

(भाग 6)

मोबाइल की घंटी बजी, हिम्मत करके फोन उठाया नम्बर देखते ही चेहरे पर मुस्कान आ गई, फोन आन किया।

नमस्कार सर,”…जिया संभल कर बोली फिर भी आवाज मैं खरखराहट है।

“क्या हुआ तबीयत खराब है, डॉक्टर को दिखाया,अपना ध्यान रखें जब तक ठीक न हो ऑफिस न आते,”… अनुज के स्वर में चिंता का पुट है।

“जी सर, डॉक्टर को दिखा दिया है टेवलेट्स भी ले ली है, थकान की वजह से फीवर है एक दो दिन में ठीक हो जाएगा,”…इतना बोलने में ही जिया को थकान महसूस होने लगी सांस तेज तेज चलने लगी।

“मिस जिया, आप आराम करें, मेरी शुभकामनाएं हैं आप जल्दी स्वसथ्य हो जाये, मैं फोन रखता हूँ आप आराम करें, बाय…

“नमस्कार सर,”… जिया मोबाइल रखकर लेट गई, अपने आप को हल्का महसूस कर रही है ऐसे लग रहा है जैसे वह सोच रही है सब कुछ वैसा ही हो रहा है, कहीं न कहीं अनुज को भी उसकी फिक्र है।

तीन दिन बाद जिया ऑफिस गई तो उसे आफिस नया सा लगा। ऑफिस में बैठने की सेटिंग बदल दी गई है केविन भी आगे पीछे हो गए हैं,जिया ने अपने केबिन की तरफ देखा तो वहां से नेम प्लेट नदारद है उसने दाई तरफ देखा केबिन पर उसके नाम की नेम प्लेट टंगी हुई है, उसी तरह बढ़ गई, केविन में घुसते ही उसे एक बहुत ही मनमोहक खुशबू का एहसास हुआ, लगा अभी अभी कमरे से कोई होकर गया है।

जिया ने आँख बंद करके उस खुशबू का अहसास लिया, आँखें खोल कर देखा तो साइड टेबल पर एक ताजे फूलों का गुलदस्ता रखा हुआ है धीमे-धीमे चलते हुए फूलों के पास गई देखा यह खुशबू फूलों से आ रही है। चेयर पर बैठकर जिया ने आंखें बन्द की तो बेहद सकुन मिला।
कुछ देर यूं ही लेटे रहने के बाद उसने आंखें खोली और सामने रखी फाइल को देखने लगी वापस ऑफिस के माहौल में आना चाह रही है।

उसी समय केबिन में रुचि ने प्रवेश किया।

“गुड मॉर्निंग मेडम,”…

“वेरी गुड मॉर्निंग रुचि,”…

“मैडम, आपको सर ने बुलाया है अगर आप कंफर्टेबल महसूस करें तो प्लीज आ जाए,”…

“हां आती हूँ,”…

“ओके मेडम,”… कहती हुई रूचि केबिन से बाहर निकल गई।

जिया ने अपना नोटपैड उठाया आवश्यक फाइलें उठाई जो पेंडिंग पड़ी थी और वह अनुज के केबिन कि ओर बढ़ गई।

क्रमश:..

अगर तुम न होते

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