तनातनी
एक दिन लोमड़ी को
सैर करने की सूझी
कालू बंदर ने देखा
दौड़कर पहुँचा पास
कहने लगा लोमड़ी मौसी
चली कहाँ तुम सजकर?
पर मौसी बहुत सयानी थी
सच बात नहीं बतानी थी
ऐसे मौसी लौमड़ी को
बंदर से जाना छुड़ानी थी।
मौसी जी ने इक चाल चली
बंदर जी को बात कही
उत्तराखंड की तलहटी
कंदराओं में चली टहलने।
सुनकर सोच में पड़ गया बंदर
मार ठंड की झेल चुका
टेढ़ा मुँह बनाकर बोल
अभी घूमने क्या जाना
मेरे दांत में दर्द बड़ा।
सुनते ही लोमड़ी जी ने
सरपट दौड़ लगाई
जान बची तो लाखों पाए
लोमड़ी ने यूं जान बचाई।
©A