राम आयेंगे तो क्या कहेंगे
राम आयेंगे तो क्या कहेंगे
मैं अपना आंगन बुहार लूं अब
जो राम आये तो क्या कहेंगे
ज़रा सा खुद को संवार लूं अब
जो राम आये तो क्या कहेंगे ?
ना कुछ भी सूझे ना कुछ भी समझे
हमारा दिल है कि खूब धड़के
अब इसको कैसे कहो मनाऊं
मैं आप खुद से ही रूठ जाऊं
ऐ दिल संभल मानूंगी कहा भी
बता ये सपने क्या भी क्या होंगे
मैं सोचती हूं, मैं देखती हूं
जो राम आये तो क्या कहेंगे ?
उलझ गई मैं ये किस भंवर में
हुए हैं अंगना भवन भी छोटे
कहां बिठाऊंगी राम अपने
मैं देखने क्या लगी हूं सपने
हुई बांवरी मैं बस ये जानूं
जो खुद मैं अपने को ही ना जानूं
तो सेवा क्या राम की करेंगे
जो राम आए तो क्या कहेंगे ?
जुगों से बातें हृदय समाई
युगों से थी इस भी लगाई
जो राम की दे रहे दुहाई
अभी घड़ी है दरस की आई
सजाऊं फूलों से अपना आंगन
करूं मैं कैसे क्या बोलता मन
बताओ क्या वो यहीं रहेंगे
जो राम आए तो क्या कहेंगे ?