मिलना जुड़ना
निश्चित कर
खिली चमन
की कली
हर घर
मुस्काती, इठलाती
गर्व से तन कर
प्रेम का
इज़हार कर
विश्वास की पोध
रोप कर
यादों के तारे सितारे
टांक कर
मिसाल ऐ ताजमहल
खड़ा कर
हाथों में हाथ
डाल कर
अनंत आकाश
की सेर कर
दो दिवाने चले
जिस्म से निकल
रुह से मिलन कर।
©A
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