तराशा हुनर

अपनी कच्ची उम्र की शादी को वह झूठला भी तो नहीं सकता था । उसके संस्कार माता-पिता के तिरस्कार के लिए तैयार नहीं, इसलिए वह विजया को अपने समकक्ष बनाना … Read More

अनुसरण तो करूं

मुझमें न वैसीदृढता है और न हीवैसा संकल्पन ही मेरे में कुछकर गुजरने की क्षमतालेकिन फिर भी मैंबुद्ध बननाचाह रही हूँउनके जैसे तपस्वीवैसी हीईश्वर की आराधनाइधर चाहत बहुतबढ़ रही हैंलेकिन … Read More

ग़ज़ल

रूठते हैं तो मना लो हमको,अब तो सीने से लगा लो हमको. कब से बोले मुंडेर पर कागा ,आज वादों से ना टालो हमको . हट गए राह के पत्थर … Read More

ग़ज़ल

मुहब्बत का रोशन सितारा हुआ ,मिलन जो हमारा तुम्हारा हुआ . हमी ख्वाब में बात करते रहे,न तेरी तरफ से इशारा हुआ . सहर-शाम चौखट तेरी थाम कर,कि रोया मेरा … Read More