Lawa लावा
लावा बहु को बुरी तरह पीटते, बेटे की खबर जब सावित्री मां के पास तक पहुँची तो वह दौड़ पड़ी, बहू को बचाने को, बीच-बचाव में दो-तीन थप्पड़ भी पड़ … Read More
ऐसा रच दे हम कबप्रविष्टियों मेंजकड़ते चले गयेकलम ने तोभावनाओं कीरूह कोऔर एहसासों कोपंख दिये हैंअदभूत, अनदेखा,अनछुआ कुछरच सकेकुछ सुन, सुनाऔर कुछकह सके,फिर यह बीच मेंहिस्से कैसे हुएकिस तरह इस … Read More
ग़ज़ल अरमानों से भरा है जीवन,उत्सव का घेरा है जीवन। फूलों भरी भले हों गलियाँ,काँटो से कब बचा है जीवन । सच्चाई बस इसकी इतनी,सांसो का नगमा है जीवन । … Read More
शिवदत्त एक दिन पार्क में बैठे हम सभी परिवार वाले, आलू के चिप्स खा रहे हैं, वहीं पर थोड़ी दूर पोलो का बाॅल स्टैंड बना है, दूर से वह अपने … Read More
ग़ज़ल हम से इतना भी तो न दग़ा कीजिए,बात थोड़ी सही सुन लिया कीजिए। रहम की है ज़रूरत उसे आज फिर,सर झुका है जो उसका दया कीजिए। चोर नज़रों से … Read More
सच तो है नीलू का जैसे-जैसे डिलीवरी के टाइम पास आ रहा है, वह अंदर से बहुत घबरा रही है, उसे अपनी सास की उम्मीदों पर खरे उतरने का अंजाना … Read More
ग़ज़ल इस तरह हम निभाते रहे प्रीत को ,धड़कनों में बसाया है बस मीत को । सब सितम पर सितम हम पे ढाते रहेआओ तुम भी निभा दो इसी रीत … Read More
बगावत दिल धड़कने कीये कैसी आवाज हैकानों तक जोसुनाई पड़ने लगीहुआ आजऐसा न जाने क्योंजब से आँखेउनसे चार होने लगीबगावत मेंतार सरगम केसारे बजने लगेलाख छुपाने कीकोशिश मेंचेहरा लाज कीलाली से … Read More
लड़की हूँ मैं हरे हरे बाग, नींबू, अमरूद, बेर, संतरे के सभी मौसम के अनुसार लगे रहते और गर्मियों की छुट्टियों में तो दादाजी की एक आमदार लकड़ी की कुर्सी, … Read More
मोह के जालों में ख़ुद को क्यों भला उलझायें हम,हक किसी का मार कर कहिए भला क्यों खायें हम। आस में बैठी है वह बूढ़ी कि बेटा आएगा,उसकी आँखों को … Read More