तेरे इंतज़ार में Waiting for you

(अन्तिम भाग 5) घर पहुँचकर देखा तो दरवाजे पर भारतीय साड़ी में लिपटी एक कमसीन महिला खड़ी है। उसने हाथ जोड़कर ‘नमस्ते’ किया। “यह इमा है,”…प्रदिप ने परिचय कराया। ‘‘अच्छा,’’… … Read More

तेरे इंतज़ार में Waiting for you

(भाग 4) पूरा पत्र पढ़कर वह समझ गई कि इसके पहले भी कई पत्र आ चुके हैं और विजेन्द्र ने किसी का भी जवाब नहीं दिया है, जब भी विजेन्द्र … Read More

तेरे इंतज़ार में Waiting for you

(भाग 3) “क्या बात कर रहे हो होश में तो हो।”…यह बात मान्यता के जेहन से निकल चुकी थी अतः अचम्भे से बोली। “हाँ पूरे होशो-हवास में हूँ, और आज … Read More

तेरे इंतज़ार में Waiting for you

(भाग 2) आज जब सुबह विरेन्द्र का फोन आया कि नाथद्वारा चलना है, मान्यता तैयार हो गई। अब अक्सर जब भी विजेन्द्र स्वयं कार ड्राइव कर कहीं जाता है तो … Read More

तेरे इंतज़ार में Waiting for you

(भाग1) एक दिन मान्यता पार्क में अकेली बैठी दूर छोटे से तालाब की उठती गिरती लहरों को देखते किसी सोच में डूबी है। “क्या मैं आपसे आपका नाम जान सकता … Read More

अब डरते हैं

कुछ कह भी दोकुछ सुन भी लोकहने सुनने मेंकुछ वक्त लगा दोदो से चार,चार से छहबातें ही बातेंऔर करो बातेंखत्म न होने वालाअनवरत चलतामन में उल्लास कीफसल रोपतासुकून भररे दिनतो … Read More

मैं नीर भरी

प्यास दे रही आवाजकैसे न लौटूअंदर की बेचैनी कोक्या न समझूँहर जगह सेखाली हो गईउसपर हूँ अकेलीक्यों इतनी दुखी हूँसागर से जो मिलीअब क्यों इतनीतड़प बचीक्या अन्दरनयी कड़ी जुड़ीयह चैन … Read More