हायकु

रंग बदलबदली घुमड़तीतड़फे मछली। नाव बनकरमझधार में फंसेको निकाल लू। जीवन आंधीलावा बन बह लीदर्द छुपाती। घन बनायेजिये या सब मरेये घुसखोरी। जीत पहलेहौसला बुलंद होमंजिल मिले। ©A

विकसित समझ

हम से जिनखून के रिश्तों नेमुँह मोड़ा थाआज हमारे साथखड़े हैं,अब हम मेंखूबियों के ढेरोंकिस्से भरे पड़े हैंकुछ तो ऐसे भी हैंजिनके बारे में खुदनहीं जानतेहमारे सामनेबखान करने में उन्हेंशर्म … Read More

ग़ज़ल

छूके आंचल ये मैला हो न जाए,लैला मजनू-सा किस्सा हो न जाए। जब्त रखती हूँ मैं जज्बात अपने,जख्म कुछ और गहरा हो न जाए। शराफत की नजर से वास्ता है,है … Read More

पत्थर नहीं दिल है

अन्तिम भाग 22 आवाज के साथ ही त्रिवेणी ने आँख खोली धवल को खड़ा देख वह झटके से उठने की कोशिश करने लगी, धवन ने आगे बढ़कर उसको सहारा देकर … Read More

पत्थर नहीं दिल है

भाग 21 धवल डॉक्टर से बात करने चला गया, रुही धवल के मृदुल व्यवहार की कायल हो गई, त्रिवेणी ने बहुत अच्छा जीवन साथी पाया है। धवल दस मिनट में … Read More

पत्थर नहीं दिल है

भाग 19 रूपाली के घर के सामने दोनों को एक साथ उतरता देख मां और रूपाली का तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उन्होंने तो उम्मीद ही नहीं की थी … Read More

पत्थर नहीं दिल है

भाग 18 रात को टेबल पर जब खाना लगाया तो देखा, तड़का लगी दाल, हरी सब्जी पालक और टमाटर आलू की, सलाद, जीरा तड़का चावल साथ में एक मीठाई चमचम … Read More