हे पर्वत

बर्फ से ढ़ंकी चोटियाँ,हरी-भरी वादियाँऔर ताज़ी हवाशक्तिशाली नदियाँजिनके ऊपर भावनाओं कीलहर दौड़ रही हैसफेद चोटियों परप्रकाश का नृत्यसुनहरी किरणों का संगमपक्षियों के चहचहाने सेगुंजते मधुर गीतचारों ओर फ्रर वालेघूमते जानवरमानो … Read More

गहरा नीला समुद्र

समुद्र की गहराई में,नीले रंग का समुद्र है,पानी का विशाल विस्तारइसका सच है।सूरज की किरणें चमक रहीऔर लहरों में नाचती हैं,जैसे गहरा नीला समुद्रहमेशा के लिए सुर्य कीनजरों का काजल … Read More

तुम तो तुम हो

पक्षी ने मुझे आश्चर्य के साथ देखाखुद को ऊपर उड़ते हुएमुझे आशीर्वाद देने लगा। गुरुर्ब्रह्मा ने पक्षी कोआत्मा के रूप में दर्शित कियाअपने प्रकाश और आनंद के साथहमेशा उनकी मदद … Read More

ग़ज़ल

अपने बंदों पर ख़ुदा हैरान है,आदमी है या कोई शैतान है। बिन मौसम यह बारिश भी,दुनियां में अब इंसाँ भी हैरान है। कभी न बंदिश यहाँ प्यार ने मानी,बंदिश वाला … Read More

कुछ तो है

दर्द दौड़ता है लहू मेंदो धारी तलवार बनकरचीरता हर एक धागागिन-गिन करदिल के धड़कने परथर्राता है तन-मनमस्तिष्क द्वंद मेंफंसा जमकर। आँसू भी तोअविरल जानेकितने बहेथमते तो ज्वाला ही होतेएक न … Read More

ग़ज़ल

बहर2122,1212,22 तेरे ख्वाबों में. डूब जायें हम,एक दुनिया नई बसायें हम। ज़ुल्म दुनियां के क्यों उठायें हम,आओ आवाज़ अब उठाएँ हम। ख़ुश्क फूलों से झांकती यादें,ख़ुद को इसमें जरा डूबाएँ … Read More

साधना प्रित

मिले साथी तोहोगी प्रितआरती उतारेगाते हैं गीत।मंगल तिलक कीहोती रीत,दीप ज्योतिसाधना प्रित।स्वप्न उतरेआँगन बीच,हाथों में हाथजीवन संगीत। मन पुलकितभरते नयन रीतसुनहरे सपनेचलते जाते।मेरे दिल मेंतुम हो आते।बसंत में हीपत्ते झरते,जीवन … Read More

बेहतरीन जरिया

लखनऊ में रिक्शा कर जब निकलें तो मन वैसे ही कसैला हो गया, हरि,उषा को बिठाये, एक मरियल आदमी रिक्शा खिंच रहा है। पता नहीं रिक्शे को चालक की सूखी … Read More

तुम सी

अपना अक्सतुझमें मुझसा ही दिखतातुम भी शीतलमैं भी शांत।उफनी हो तो बिफरी हूँ मैं भी।चलती, बहतीरमती तुम सीडूबती,उबरती, रुकती, सूखतीचटकती, दरकतीसम्हलती, संवरतीझुकती, उठतीठिठकती,बहती, गिरती, सँभलतीनदी, नाले ,सागरपहाड़ों में रमतीजोगीन, तपस्याचन्दन, … Read More