Ardas अरदास

अरदास

चौखट पर
मस्तक को रख
एक कदम जो
पीछे हटी
मुँह फेरा
और चावल उछाले
मां के आँचल में
बचपन की
स्मृतियाँ भर दी
खुशी और गम के
आँसू निकल
मां के आँचल में
विलीन होने लगे
सिर झुकाए
मां दुआ कर रही
मेरी लाडली को
मिले सब खुशी
घरेलू प्रताड़ना पर
कभी न चढे बलि
हे मालिक
उसका मान सम्मान
बरकरार रखना
तू करना इतनी दया
बेटी जिस घर जा रही
वहाँ लोगों में हया रखना।

©A

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