Let it flow बहने दो….

बहने दो....

दर्द दौड़ता है
लहू में तलवार बनकर
चीरता है हर एक धागा
गिन-गिन कर
दिल के धड़कने पर
थर्राता है तन मन
मस्तिष्क द्वंद में
फंसा जमकर
आँसू भी तो
अविरल जाने
कितने बहे
थमते तो
ज्वाला ही होते
एक न एक दिन
लावा बहना है
रिसने दो जख्म
हल्का हो रहा दर्द है
जीवन की आशा का
अंकुर नम तो है।

©A

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