So be it ऐसा ही हो

ऐसा ही हो

प्रेम की रसधार
चारों ओर फुहार
शबनम भी
गवाही देने लगें
स्वर्णिम क्षणों को
अपने में टांकते रहो
सांसों का कोई
हिसाब न रहे
बस प्रेम की लहर
उछलती गरजती रहे
मन गंगाजल सा
निर्मल, पवित्र होता रहे
हर पल सुखद स्मृति
का भंडार रहे
सांसों में खो कर
प्रित बनी रहे
जीवन का सफर
रसधार हो बहता रहे
पावन प्रभात में
रेशमी स्पन्दन हो
मन मन्दिर में सदा
रचा बसा रहें
मन का वृन्दावन
महकता चहकता रहे
जीवन यूं ही गुजरता रहें।

©A

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