अगर तुम न होते

(भाग 9 )

कॉन्फ्रेंस हॉल के सामने अनुज ने जिया की तरफ देखा, उसके चेहरे पर हल्की सी जिज्ञासा भरी हुई है जिसे चाह कर भी नहीं संभाल पा रही है, अनुज कुछ देर जिया को देखता रहा, वह समझ रहा है यह स्थिति उस समय होती है जब आप पूरे मन से किसी कार्य को कर रहे हैं और उसके परिणाम आने की राह देख रहे हैं इस बीच का जो समय होता है वह बहुत ही असमंजस और उत्सुकता से भरा हुआ होता है यह मिले जुले भाव अजीब सी स्थिति पैदा कर देते हैं।

“मिस जिया,” आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ, आज आप अपने प्रेजेंटेशन को सफलतापूर्वक दे सकें,”…

“धन्यवाद सर, आपको भी इस प्रोजेक्ट के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ, मुझे विश्वास है हम इस प्रेजेंटेशन में कंपनी को बेहतर सुझाव के साथ नया मॉडल देने में सफल होंगे”…

“मुझे भी आशा है,”…

दोनों ने कान्फ्रेंस हॉल में प्रवेश किया, वहां कंपनी के सभी वरिष्ठ अधिकारी और फाइनेंस डिपार्टमेंट के अधिकारी मौजूद है अनुज और जिया ने भी सभी को अभिवादन किया और अपनी जगह संभाल ली।

इस नए प्रोजेक्ट पर दो और शाखा ऑफिसों से प्रेजेंटेशन मंगाया गया है कुल तीन प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किए जाने हैं, बेंगलूर, पुणे और हैदराबाद को यह मौका दिया गया है। यह बात वह जानते हैं और इसलिए उन्हें इस समय कौतूहल है कि उनका प्रेजेंटेशन और उनके सुझाव के साथ नया मॉडल स्वीकृत कर लिया जाये।

पुणे को पहले मौका दिया गया और लंच तक वह अपना परिचय प्रस्तुत करते रहे लंच के बाद बेंगलुरु का नंबर आया और शाम छः बजे तक प्रेजेंटेशन देते रहे, यह निश्चित हो गया कि दूसरे ही दिन हैदराबाद को मौका मिलेगा।

जिया और अनुज ने जब दो प्रेजेंटेशन सुने तो उन्हें अपनी की हुई मेहनत पर पूरा विश्वास हो गया कि वह शायद कुछ नया और अच्छा प्रस्तुत करने में सक्षम है।

अनुज जानता है कि जिया ने जिस तरह से इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है उसकी तारीफ की जानी चाहिए, यह जिन पहलुओं को छू सकी है अभी दोनों प्रेजेंटेशन उसके आसपास भी नहीं पहुँच पाए ।

शाम को ऑफिस से निकलते ही जिया ने मां को फोन लगा दिया और बता दिया कि वह ठीक ठाक है और आज उसका प्रेजेंटेशन नहीं हो पाया है भाई अगस्त्य और बहन शगुन को बहुत उत्सुकता है कि जिया का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ या नहीं ।

दूसरे दिन निश्चित समय दोनों पहुंच गए और आज दोनों बहुत उत्सुकता से भरे हुए हैं प्रस्तुत करने की भी पूरी रूपरेखा दोनों ने तैयार कर ली है, शुरुआत अनुज करेंगे और आगे के सेक्शन जिया प्रस्तुत करेगी।

दोनों ने लंच तक अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत कर दिया। कान्फ्रेंस से बाहर आते हुए दोनों एक दूसरे से जानना चाह रहे हैं कि दोनों की प्रस्तुति में कोई कमी तो नहीं रही लेकिन सभी के सामने पूछने में भी हिचक हो रही है इसलिए लंच के बाद दोनों जब कॉन्फ्रेंस रूम में बैठे तो जिया से रहा नहीं गया।

“सर, मैं ठीक से प्रेजेंटेशन दे पाई, कहीं कोई कमी तो नहीं रही,”… धीमी आवाज में जिया ने पूछा ।

अनुज ने जिया की तरफ देखा, पलके झुका कर ही स्वीकृति में कह दिया कि सब कुछ ठीक है, जिया को राहत महसूस हुई। अनुज नहीं चाहता है कि उन दोनों को चर्चा करते हुए वरिष्ठ अधिकारी देखें और वह उनके आत्मविश्वास को कम आंकने, ऐसा सोचने का मौका उन्हें हाथ लगे । उन दोनों ने अपनी प्रस्तुति दे दी और वह संतुष्ट है कि अपनी तरफ से पूरी ईमानदारी से अपनी बात रखी है

क्रमश:..

अगर तुम न होते

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