आसमान बुनती औरतें
भाग (108)
शाम तक इंतजार करना मुश्किल हो रहा है फिर भी इंतजार तो करना ही था रानी टाइम से पहले आ गई, स्नेहा को टाइम लगा अब चारों काउंटर पर है, हर्षा रूम नंबर दो सो दो के प्रोग्राम की जानकारी ले रही है, पीछे के बगीचे में उनकी पार्टी है, शाम सात बजे से, अब तय यह हुआ कि तब तक इंतजार करना होगा।
दोनों उत्साहित हैं कि उन्हें देखना है कि रघुवीर किस तरह के व्यक्तित्व का इंसान हैं, रानी से ज्यादा तो स्नेहा को बेसब्री हो रही है आज सात भी कितना देर से बजेगा, यह समय भी अपना पहलू बदलता रहता है, जब किसी का इंतजार होगा तो बहुत ही धीमी गति से चलेगा,
पता नहीं क्यों इंतजार करने वालों से समय को बैर हैं, इसलिए स्नेहा बहुत कसमसा रही है इंतजार करना भारी पड़ रहा है।
जैसा कि निश्चित समय पार्टी शुरू हुई, अब इन लोगों को यह देखना है कि ऐसी जगह तलाशी जाये जहाँ से आराम से रघुवीर को देख सकती है, एक बालकनी उन्होंने चुन ली, जिस बालकनी में खड़ी है यह एक कारिडोर है यहाँ कपडे के पर्दे में से झाँक के चारों देख रही है। चुकि हर्षा और राखी ने रघुवीर को देखा हुआ है हालत खराब रानी की हो रही है, जितना देखने की उत्सुकता थी उससे ज्यादा उसे अपने दिल की धड़कन सुनाई दे रही है किस तरह वह सम्हाले यह दिल सम्हल ही नहीं रहा, उस पर देखने के बाद उसका क्या होगा उसे खुद नहीं पता, रानी ने उत्तेजना में राखी का हाथ पकड़ लिया, हर्षा बाहर देखकर रघुवीर को तलाश रही है पर रघुवीर अभी नजर नहीं आया है।
इस पार्टी में एक-एक करके लोग जमा होने लगे और अब तक पन्द्रह लोग आ चुके हैं लेकिन रघुवीर नजर नहीं आ रहा, हर्षा सोच में पड़ गई कि यह पार्टी उसने रखी है या उसके स्टॉफ ने रखी है रघुवीर गायब है आएगा भी या नहीं, हर्षा को चिंता होने लगी।
राखी भी परेशान हैं कि यह सब क्या हो रहा है, कहीं हर्षा को सुनने में कोई गलती तो नहीं हो गई, ऐसा न हो कि रघुवीर आये ही नहीं और इंतजार व्यर्थ चला जाये।
क्रमश:..