आसमान बुनती औरतें

भाग (107)

“राखी यह तो वही है नाम भी वही है और पता भी वही भेजा है रजिस्टर खोल के देखो तुम।”…जैसे ही फोन में मैसेज की घंटी बजी दोनों उछल गई और फटाफट पढ़ा।

“हर्षा, नाम तो रघुवीर है, पता पढ़ रही हूँ मिलान करो।… राखी पता पढ़ते हुए बोली।

“यह तो ईश्वर ने मन की इच्छा पूरी कर दी राखी, हमें तो कहीं जाना भी नहीं पड़ा और वह खुद चलकर हम तक आ गया, रानी की किस्मत है बहुत बुलंद और कितना सुदर्शन है जितना फोटो में दब्बू और भोला लग रहा था वैसा तो कुछ लगा नहीं।”…पता का मिलान होते ही दोनों गले मिल उछालने लगी।

दोनों थोड़ी देर बाद सम्हली, क्योंकि काउंटर पर कोई आ गया था और जब दोनों ने नजरें उठाकर देखी तो रघुवीर सामने खड़ा है वह दोनों को देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रहा है, राखी को तो लगा कि उसने उन दोनों की बातें सुन ली है कहीं उसे यह पता तो नहीं चल गया कि रानी कि हम सखियाँ हैं, यह मुस्कुरा क्यों रहा है ?

“मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूँ।”… कहती हुई हर्षा ने कमान संभाल ली।

“मेरे कुछ मेहमान आने वाले हैं उनके रूम चेक कर लीजिए, रूम तैयार करा दीजिए।”… रघुवीर कहां।

“आपके जो गेस्ट आ रहे हैं उनके नाम बता दीजिए।”… हर्षा ने पूछा

राखी एक टक रघुवीर को ही देखे जा रही है हर्षा ने ध्यान हटाने के लिए धीरे से उसका हाथ दबाया। राखी हड़बड़ा कर संभल गई।

रघुवीर ने उसके दोस्तों के नाम बताये तो हर्षा ने रूम ठीक कराने का आश्वासन दे दिया यह सुनते ही रघुवीर होटल के बाहर निकल गया।

दोनों सखियाँ रघुवीर के जाते ही खुशी के मारे हाथ पर हाथ मार रही है, खुशी मिली इतनी कि मन में न समाये।

“रानी को फोन कर दे।”… राखी ने उत्साहित होकर पूछा।

“नहीं, अभी नहीं उसे शाम को बुला लेते हैं, बुकिंग तो वैसे भी तीन दिन की है।”… हर्षा ने सोचा की रानी अभी ऑफिस में होगी और अचानक छुट्टी नहीं मिल सकती है।

“हर्षा, ऐसा न हो बड़े लोग हैं तीन दिन कि बुकिंग कराई है और एक दिन में ही काम कर के चलते बने।”… राखी ने शंका जाहिर की।

“इसलिए तो कह रहे हैं कि शाम को बुला लेते हैं और ज्यादा कुछ हुआ तो कह देंगे कि चार बजे तक आ जाओ अगर रघुवीर कहीं बाहर नहीं गया तो उसे कम से कम एक-दो घंटे तो इंतजार करना ही पड़ेगा, अभी तो अचानक ही सामने आ गया फिर उसके अगर दोस्त आये, कहीं बाहर चला गया तो, फिर भी कुछ भी हो रानी को बुला ही लेते हैं।”… हर्षा खुद ही तर्क कर रही है और खुद ही सुलझा रही है।

“हां यह ठीक है मैं रानी को फोन लगा देती हूँ।”…

“ऐसे करो स्नेहा को भी फोन लगा दो वरना वह अकेली रह जाएगी बिना देखे।”… हर्षा ने सुझाया।

“दोनों को ही बुला लेते हैं, यह ठीक रहेगा।”… कहती हुई राखी दोनों को फोन लगाने लगी।

क्रमश:..

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