आसमान बुनती औरतें
भाग (106)
किस रूम में आकर रुका है, नाम तो बताओ, मैं एक नजर देख कर आती हूँ ,अभी तो वहां पर वैसे भी सभी रूम ठीक करने वाले कर्मचारी जा ही रहे होंगे मैं उनके साथ जाकर व्यवस्थित सामान रखने के साथ-साथ उसे देख भी आती है।”… राखी ने भी उत्साहित होकर कहां।
“हां हां चलो, जल्दी तुम भी एक नजर देख लो, तुम्हें पक्का हो जाएगा कि यह वही है पर एक बार पहले मोबाइल में उसका फोटो और देख लो।”… कहती हुई हर्षा उसे ऑफिस में ले आई।
रूम नंबर दो हो दो मैं पानी और वहाँ की व्यवस्था देखने के लिए उसने रसोईघर में फोन लगा दिया और राखी को कह दिया कि तुम भी जाकर वहाँ खड़ी हो जाओ जब यह सामान लेकर जाये तो तुम अंदर व्यवस्थित रखवा देना और देख भी लेना।”…हर्षा ने सुझाया।
“ठीक है अभी देख कर अभी आती हूँ।”… राखी दूसरी मंजिल पर चली गई उसे भी अत्यधिक खुशी हो रही थी और उत्सुकता थी कि अगर हर्षा ने देखा है तो ईश्वर करे यह वही लड़का हो।
कुछ देर बाद राखी वापस आ गई उसके चेहरे पर जो तेज दिख रहा था उससे समझ आ रहा है कि वह भी पहचान गई है।
“हर्षा यह तो वही है और उसके पते के हिसाब से तो यह वही लग रहा है लेकिन रानी हमें जब तक इसका पता नहीं देती तब तक हम कैसे कह दें कि यह वही है क्योंकि उसने अभी तक तो नाम भी नहीं बताया है हम तो सिर्फ फोटो से पहचान रहे हैं।”… राखी असमंजस में बोली।
“लगा न तुम्हें यह वही है मुझे भी लग रहा है कि हम धोखा नहीं खा रहे है, पर पता नहीं क्यों थोड़ा सा मन में शंका थी अब तुमने भी देख लिया है तो उलझन दूर हो गई, रानी को फोन लगाते हैं और उससे नाम पता पूछ लेते हैं।”… कहती हुई हर्षा रानी को फोन लगाने लगी।
“हेलो रानी, तुमने अभी तक नाम पता भेजा नहीं।”… हर्षा बोली।
“एक मिनट में भेजती हूँ तुम्हें।”… कहते हुए रानी ने फोन रख दिया।
“क्या कहाँ, रानी भेज रही है, मुझे तो इतनी खुशी हो रही है कि मैं तुझे क्या बताऊँ कि ऐसा लग रहा है जैसे कि ईश्वर ने हमारे मन की मुराद परोस के हमारे सामने रख दी है।”…राखी उत्साह को दबा नहीं पा रही है।
क्रमश:..