आसमान बुनती औरतें
भाग (40)
अगले हफ्ते रमन का आना निश्चित हो गया है और अब शादी के बाद राखी पूरी तरह से रमन से मिलने के लिए बेकरार है उसके साथ-साथ दोनों सखियाँ रमन को देखना चाहती है, हर्षा ने तो देखा हुआ है, स्नेहा और रानी देखना चाहती हैं।
“हर्षा, तुम्हारी ड्यूटी है कि जैसे ही रमन तुम्हारे होटल में पहुँचता है तो हमें बता देना, हम कुछ न कुछ ऐसा जरूर प्रोग्राम बना लेंगे जिससे हम तीनों साथ रहे और रमन और राखी भी जिन्हें हम देख सकें,”… एक दिन तीनों की फोन पर बात हो रही थी तो रानी ने तो हिदायत दे दी।
“हां हर्षा, यह तुझे ध्यान रखना है कि इस बार किसी भी हालत में राखी को कमजोर नहीं पड़ने देना है और अगर वह बात नहीं करती है तो हम बात करेंगे,”… स्नेहा ने भी जोर देते हुए कहा।
“तुम दोनों समझती क्यों नहीं हो यह राखी और रमन के बीच की बात है पहले उन्हें तो एक दूसरे को समझ लेने दो कहीं ऐसा न हो कि हमारे दखल से बात बिगड़ जाए और हो सकता है राखी को भी अच्छा न लगे,”… हर्षा ने शंका जताई।
“हम तुम्हें हिदायत दे रहे हैं सतर्कता तो हम रहेंगे ही और राखी को हौसला देते रहेंगे कि वह बात करें, जब बात नहीं बनेगी और हम राखी से पूछ भी लेंगे इसके बाद हम सामने आएंगे न,”… स्नेहा ने जोर देते हुए कहा।
“हां यह बात ठीक है, हम पहले अच्छे से पता कर लेंगे फिर हम सामने आएंगे,”… रानी ने भी इस नेहा की बात का समर्थन किया।
तीनों बहुत देर तक बात करती रही, योजना बनाती रही, किस तरह इस बार राखी को हौसला दे कि वह अपनी बात रमन के सामने रख सके और पहले उसके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ले ले, ऐसा तो नहीं है कि स्वास्थ्य सचमुच में बहुत खराब है और इस बीच हम लोग इस तरह की बातें राखी से करने को कह रहे हैं इन सब बातों पर भी ध्यान देना होगा।
बहुत सोच-विचार के बाद तीनों निर्णय लिया कि राखी से इस विषय में बात करते हैं और इन कुछ दिनों में यह पता कर ले और हो सके तो डॉक्टर की रिपोर्ट मंगाई जाये, यहां पर हम किसी डॉक्टर को दिखा कर उस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी लेगे, इस बात पर तीनों सहमत हो गई और राखी को मनाने के लिए उन्होंने कल शाम को मिलने की बात निश्चित की।
क्रमश:…