आसमान बुनती औरतें

भाग (43)

“इस समय तो आप बहुत बेहतर लग रहे हैं,”… राखी ने बात शुरू करने की गरज से कहा।

“आप संतुष्ट हैं आपने हिदायत दी थी पिछले बार कि मुझे ठीक होना है देख लीजिए आप,”…रमन के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

“इसका मतलब तो यह हुआ कि आप बात के बहुत पक्के हैं, आप को स्वस्थ्य देखकर अच्छा लग रहा है,”… राखी ने भी हल्का-फुल्का मजाक कर दिया उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट खिल गई।

“पर एक बात है आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं लग रहा जबकि हमारी बातें होती रही हैं और मैंने आपको भी कहा था कि आपको अपना ध्यान रखना मुझे लगता कुछ ज्यादा चिंता कि है आपने मेरी,”… रमन ने छेड़ने के अंदाज में कहा।

लगातार तो बात होती रही है आपसे और मैं अपना ध्यान भी रखती रही हूँ पर हां आपकी फिक्र जरूरत थी मुझे और कुछ बेचैनी भी शायद इसी वजह से मैं अपने पर ध्यान नहीं दे पाई पर मैं अभी तो ठीक हूँ,”…राखी ने बात स्पष्ट की।

“अच्छा यह तो बताएँ कि मैं यहां अभी चार दिन हूँ कल बस में नहीं आऊँगा तो क्या हम बाहर मिल सकते हैं,”…यह पहली बार है कि रमन ने राखी से समय मांगा।

मैं कल से ही छुट्टी ले लेती हूँ मुझे यह बताइए यहा आपका क्या काम है उसी के मुताबिक हम मुलाकात का समय निर्धारित करें,”… राखी ने भी पूछा।

“कोई विशेष काम नहीं है, वह सब मैनेज हो जायेगा,मैं चाहता हूँ कि यह तीन दिन में आपके साथ रहूं और यहाँ अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर आये हैं मेरी उनसे बात हुई है, अपार्टमेंट भी है उनसे मुलाकात करनी है आप मेरे साथ चल सकती है,”…रमन ने पूछा।

“मैं छुट्टी आपके लिए ले रही हूँ जहाँ चलना है साथ चलेंगे, मैं चाहती हूँ कि आप अच्छे डॉक्टरों को दिखाइये, इस बीमारी के मकड़जाल से निकलना ही है,”…राखी के स्वर में परवाह की झलक दिख रही है।

“हां आप सही कह रही हैं, इस बार में पूरी तरह से स्वस्थ तो हूँ लेकिन एहतियात के तौर पर हमें स्पेशलिस्ट को दिखा कर आश्वस्त होना चाहता हूँ,”… रमन ने भी अपनी बात रखी।

“अच्छा एक बात बताइए मैं वैसे तो सब कुछ पूछ ही लिया था आपसे फोन पर हमारी बात भी हुई है, आपका बिजनेस कैसा चल रहा है, अगर आपको आपत्ति न हो तो पुछूं घर वालों का रवैया आपके प्रति अब कैसा है,”… राखी का चिंतित स्वर है।

“बिजनेस बहुत बेहतरीन चल रहा है, अब मैं मैनेज भी अच्छे से कर पा रहा हूँ, घर का वही हाल है जो पहले था पर हां अब मैं अच्छे से देख समझ पा रहा हूँ कि कौन क्या क्या कर रहा है जो पहले मुझे जानकारी नहीं होती थी वह सब जानकारी अब मुझे है,”…रमन ने अपनी बात स्पष्ट की।

“यह अच्छी बात है कि आप ने थोड़ा प्रयास किया, जिससे आज आप को अब सब कुछ पता है कोई बताए उस पर विश्वास करने से बेहतर है कि खुद देखें,”… राखी ने अपनी सलाह का मान रखने पर कृतज्ञता व्यक्त की।

“आपने जिस तरह निर्देशित करती रही है सचमुच वह तरीका काम आया और मुझे खुद वह चीजें सब दिखने लगी, हम अपनों से पता नहीं इतना बेफिक्र क्यों हो जाते हैं कि हम सोच नहीं पाते कि हमारे आसपास ही हमारे दुश्मन तैयार हो रहे हैं,”… रमन ने राखी की बात का समर्थन करते हुए कहां।

यह आपके साथ ही नहीं सभी परिवारों में लगभग होता है और कोई विश्वास भी नहीं करता कि हमारे अपने हमारे साथ कुछ गलत कर रहे हैं क्योंकि वह उस नजरिए से कभी उन्हें देखते ही नहीं है बस थोड़ा सा सतर्क रहने की जरूरत होती है और आपके सामने हकीकत आ जाती है, इस हकीकत से आपको सामना करना ही पड़ता है हां यह बात जरूर है कि दुख बहुत होता है पर क्या कर सकते हैं यह दुनिया है और इसी तरह चलती है हमें ही समंजस्य बैठा कर चलना होता है, उस पर रिश्तों को भी बचाना पड़ता है,”…जिस तरह राखी ने अपनी बात रखी, लग रहा है कि वह अनुभवशाली है, इन सब परिस्थितियों से जुझ चुकी है।

रमन कुछ देर तक राखी को गौर से देखता रहा, उसे ऐसा लगा जैसे कि उसने जो पढ़ाई की है उसने जो बिजनेस किया है उसने जो दुनिया देखी है उससे ज्यादा तो गहरी बात राखी ने कह दी, जहाँ वह फैल था जहाँ अपनों को समझने की समझ ही नहीं थी सच में मुझसे ज्यादा ज्ञान मुझसे ज्यादा व्यवहारिकता और मुझसे ज्यादा जिंदगी का अनुभव तो राखी के पास है।

क्रमश:..

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