आसमान बुनती औरतें
भाग (44)
“आप ठीक हैं, कोई परेशानी तो नहीं,”… रमन को यूं मौन देखकर राखी घबरा गई उसे लगा कहीं अचानक कोई परेशानी तो नहीं हो गई जो रमन लगातार उसे ही देख रहा है।
“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं ठीक हूँ, मैं यह देख रहा हँ कि आप में कितना अनुभव हैं सचमुच अनुभव के भी कई तरीके होते हैं एक पढ़ाई से आता है तो एक उम्र की ढलान से आता है और एक परिस्थितियों के बलबूते पर कम समय में और कम उम्र में ही आ जाता है इसलिए यह कह देना कि मुझे पता है, मुझे जानकारी है बहुत गलत होता है अब बताओ जो बात आप मुझसे कह रही हैं उसकी तो मुझे जानकारी ही नहीं थी, है न सही बात,”… रमन ने दार्शनिक अंदाज में कहा।
राखी रमन की इस बात पर लाजवाब हो गई यह रमन की बहुत अच्छी बात है उसे जो बात अच्छी लगती है उसका श्रेय उसी को देता है यह बहुत कम लोगों में होता है जो अपनी कमियों को स्वीकारते हैं, एक अच्छे इंसान की पहचान भी यही होती है कि वह हर पल, हर परिस्थिति में सीखें।
पर्यटकों का वापस आना शुरू हो चुका है धीरे-धीरे लोग आकर बस में बैठने लगे हैं अब इस जगह से प्रस्थान का समय आ गया है अगले पड़ाव के लिए रमन और राखी भी बस में सवार हो गए।
…
हर्षा भी कुछ दिनों से सोच रही है कि अपनी सखियों को सब कुछ बताये विनय के बारे में कि वह उससे शादी की स्वीकृति मांग चुका है अपना प्यार का इजहार कर चुका है।
हर्षा ने इतने आगे तक का कभी सोचा ही नहीं तो वह तैयार नहीं है, यह सब ऐसा लग रहा है जैसे होना है, इसलिए हो रहा है, अपने को तैयार करने में इतनी मुश्किल क्यों हो रही है पता नहीं विनय के रवैया से या इन सब बातों को स्वीकार करने के लिए उसका मन मस्तिष्क अभी परिपक्व ही नहीं हुआ है इस विषय को वह बहुत हल्के में नहीं लेना चाहती, यह वह बात है जिसे जिंदगी भर निभाना है और किन्ही भी परिस्थितियों में वह यह नहीं चाहती की जिंदगी के किसी मोड़ पर दोनों को यह अहसास हो की नासमझी की उम्र में उन्होंने एक साथ रहने का निर्णय गलत लिया है इसलिए वह पूरी तरह से सोच विचार करना चाहती है।
काफी पशोपेश में रहती है हर्षा, मन मस्तिष्क में जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है, वह दोनों की बातें सुनती है तर्कों का बबन्डर उठा हुआ है वह समझ ही नहीं पाती कि कौन सा तर्क उचित है और कौन सा अनुचित, हर छोटी बड़ी बात पर दिल अपनी बात रखता है तो मस्तिष्क ने तो सोच रखा है कि दिल की हर बात का तोड़ निकाला जाए और कहीं न कहीं उसे गलत साबित करें, हर्षा कभी-कभी हार जाती है और उस विषय पर सोचना ही नहीं चाहती।
क्रमश:..