आसमान बुनती औरतें
भाग (46)
जसवीर मामा का आज सुबह-सुबह ही फोन आ गया है हरदीप ने परिवार का हालचाल पूछा, तो मामा ने भी खैरियत पूछी।
“हर्षा से बात की क्या बहन जी,”… जसवीर ने पूछा।
“मैं क्या बात करूँ वीरा, कुलवीर ने बात ही नहीं की, मुझे भी बात करने के लिए मना कर रही है,”… हरदीप बोली।
“आप ही बात कर लो, हर्षा बच्ची तो है नहीं, समझती है, समझेंगी बात को,”…जसवीर मामा बोला।
“हां वीरा लगता है कि मुझे ही बात करना चाहिए, मौका देखते ही बात करती हूँ, इस समय उसे काम की अधिकता है इसलिए कुलवीर ने मना कर दिया था कि इन बातों में ध्यान न भटके, जैसे ही हर्षा के आफिस का काम खत्म होता है मैं बात करूँगी,”… हरदीप ने हर्षा की परेशानी बताते हुए कहां।
“पर बहन जी लड़के वाले जल्दी कर रहे हैं, उनके पास कई रिश्तें आ रहे हैं, उनको मैंने रोक रखा है अच्छा खासा खाता पीता परिवार है, उसपर पढ़ा लिखा लड़का, अच्छी नौकरी है, इस रिश्तें में बुराई क्या है,”… जसबीर ने लड़के वालों की अधीरता बताई।
“सुनो वीरा, हर्षा पढ़ी लिखी समझदार लड़की है, उसके ऊपर ऑफिस का भी बहुत काम है वह लोग किसी नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं इसलिए हर्षा ने कह रखा था कि वह काम पूरा होने पर ही बात करेगी, वह बात सुनने को ही तैयार नहीं है,”… हरदीप बोली।
“फिर तो यह रिश्ता हाथ से निकल जाएगा, मैं कब तक रोक सकता हूँ,”…जसवीर ने भी हथियार डालते हुए कहा।
“सुनो वीरा, हर्षा कि किस्मत में जो होगा देखा जाएगा, अगर वह नहीं रुक सकते तो उन्हें रोको मत, मैं हर्षा पर जोर नहीं डाल सकती, मैंने कुलवीर को पूरी जिंदगी संघर्ष करते देखा है, हर्षा के साथ तो ऐसा नहीं कर सकती,”… हरदीप ने भी इस बात को यही खत्म करने के लिए कहा।
“ठीक है बहन जी, जो रब राखा ,बहुतेरे रिश्तें आयेंगे, उन्हें जल्दी है तो बोल देता हूँ कि आप अपने हिसाब से देख लो, वह तो यही चाह रहे थे कि पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए, कोई बात नहीं,”… जसवीर मामा ने भी हथियार डालते हुए कहा।
“हां वीरा, ठीक रहेगा, यह बताओ कि घर परिवार में सब ठीक हैं तुम्हारा मुंडा क्या कर रहा है उसे पढ़ने भेज रहे हो बाहर या नहीं,”… हरदीप ने बात का रुख बदला।
“वह तो जाने की जिद कर रहा है बहन जी, मैंने भी कह दिया कर लो कोशिश और जाना चाहते हो तो जाओ, अब बच्चों के सामने क्या बोल सकते हैं, ठीक भी है दो भाई हैं एक भाई बाहर रहेगा तो ठीक ही रहेगा,”… जसवीर ने भी अपने विचार रखें।
क्रमश:..