आसमान बुनती औरतें

भाग (73)

राखी लौट आई, साथ रमन भी है, रमन अब राखी को अकेला छोड़ने के पक्ष में नहीं लग रहा है, तीनों सखियों की राखी से आमने सामने बात ही नहीं हो पाई, राखी ने फोन पर ही कुछ जानकारी हर्षा को व स्नेहा, रानी को बताई है, मिलकर पूरी बात करने की बात थी लेकिन मौका ही नहीं मिल रहा।

अब हो यह रहा है कि सुबह या फिर देर रात को थोड़ा-थोड़ा करके राखी बता पा रही है उसमें यही बात समझ में आई है की संपन्नता तो रमन के घर में काफी है लेकिन परिवार में एकता नहीं है खासकर रमन को लेकर कोई भी इमानदार नहीं है सभी उसकी दौलत हड़पने की फिराक में हैं और उसकी कमजोरी है परिवार, उसी का फायदा उठाते हैं रमन ने शादी अभी तक क्यों नहीं की, क्यों अभी तक कोई पसंद नहीं आया इन सब बातों की जानकारी अभी नहीं हो पाई।

रमन थोड़ा सा संकोची स्वभाव का है और वह अच्छे से जानता है कि उससे जो भी लड़की जुड़ेगी पैसों के लिए ही जुड़ेंगी तो फिर घर परिवार में ऐसे लोगों की कमी नहीं है इसलिए उसने अभी तक इस विषय पर ध्यान नहीं दिया, फिर दिल भी किसी से नहीं लगा, राखी रमन के बारे में कुछ जानती भी नहीं है और यह दूसरे शहर की है ज्यादा कुछ जानकारी रखती भी नहीं है, शायद इसलिए रमन, राखी को दिल दे बैठा ।

तीनों सखियों का अनुमान है और सच भी यही लग रहा है जिस तरह राखी बता रही है उस तरह तो यही बात है।

इस बार रमन ने कुछ आगे कदम उठाएं है, वह राखी के घर पहुँच गया उसके परिवार वालों से सीधे बात की और राखी का हाथ मांगा है।

घरवालों ने राखी से पूछा राखी भी तैयार थी उसने बता ही दिया है कि अभी जब वह गई थी तो रमन की घर ही गई थी, घर परिवार देख कर आई है, उसे रमन पसंद है।

बहुत की अभिलाषाएँ न तो परिवार वालों की है और न ही राखी की, सब कुछ साधारण ही तरीके से निपटाने और करने की उनकी पहले से ही मंशा थी, रमन ने अपने परिवार का पूरा विवरण दे दिया है, राखी के परिवार वालों से बोल भी दिया है कि आप सब अच्छे से सोच ले, विचार कर लें फिर निर्णय लें, लेकिन मेरा निर्णय पक्का है कि मुझे राखी से ही शादी करनी है राखी से आप पूछ सकते हैं, राखी अपना निर्णय सुना सकती हैं।

राखी के घर वालों ने भी समय गवाना उचित नहीं समझा और कुछ समय बाद ही स्वीकृति दे दी, रमन पूरी तैयारी से था और यह बात राखी को भी नहीं पता थी, मुहूर्त और तारीख पहले से ही निकलवा कर रख लिया था, पंडित जी द्वारा विवाह के मुहूर्त का कागज राखी के घर वालों को थमा दिया और कह भी दिया कि आप अपने पारिवारिक पंडित जी को यह दिखा दे साथ ही समय और दिन निश्चित कर ले, राखी से भी पूछ ले।

राखी ने जब यह बात सखियों को बताई तो सभी जहाँ आश्चर्यचकित है वही खुश भी बहुत कि कम से कम रमन ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है जिसके बल पर घर वाले मना नहीं कर सकते, राखी भी चाह रही है कि अब देर करना ठीक नहीं, हां ही कह देना चाहिए। जब राखी ही तैयार है तो सभी सखियों को खुश तो होना ही है।

क्रमश:..

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