करो तो do it

किस तरह के
रिवाज बने
एक पल में
अर्धांगिनी बन
अपनों का साथ
क्यों कर
छूट जायेगा
इस पीड़ा की
पराकाष्ठा का
अनुमान है
क्यों लड़कों को
विदा नहीं किया
किसी ने
कुदरत ने नवाजा
नर नारी को
फिर क्यों जननी
को पराया किया
यह रीत बदल कर
कुछ नया रच दो
बचपन सुरक्षित होगा
कोई जवानी
बेज्जत नहीं होगी
सम्पत्ति के लिए
हत्या नहीं
बुढ़ापा नहीं रोयेगा
वृद्ध आश्रम
में ताले पड़ेगें
दुल्हन जलाई
नहीं जायेगी
कर के तो देखो
किसी का
कुछ नहीं जायेगा
नारी की तकदीर
बदल जायेगी
जब सब बदल रहा है
तो यह भी बदलो
नये समाज की
तस्वीर उभर आयेगी।

©A

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