वक़्त हाथों से मेरे जाता रहा,
कुछ पुरानी याद से नाता रहा।
आज़माने को बहुत कुछ था मगर,
जो जुनू का दौर था जाता रहा।
बेवफ़ा एक बार तो तू सोचता,
क्या सताता और तड़पाता रहा।
दिल में यूं घर कर गई खुद्दारियाँ,
फ़ाकामस्ती में मज़ा आता रहा।
साथ खुशियों ने दिया था कब मेरा,
ज़िन्दगी का दर्द से नाता रहा।
©A
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