ग़ज़ल

तेरी आँखों में जो पाक़ीज़गी है,
उसी में तो हमारी जिंदगी है ।

कहर बरपा रही हैं वो निगाहें,
मुकाबिल हैं कमर हमने कसी है।

वो लम्हा फिर करीब आने लगा है,
फिजा में केवड़े की महक भी है।

जहाँ की दोस्तो जद्दोजहद में,
हारता जीतता हर आदमी है।

जो तोहमत लगा के चल दिए
जो रोके रास्ता वह दोस्ती है।

©A

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