ग़ज़ल
साथ हो तुम सब कहते हैं,
आँख का धोखा कहते हैं।
चलते चल मत मुड़ कर देख,
यह तो बहता दरया कहते हैं।
बने किरकिरी आँख की जो,
उसको दुनिया कहते हैं।
पहलू में बैठे फिर भी,
दिल क्यों रीता कहते हैं
शिव तांडव जब जब करते,
ब्रह्म गर्जना कहते हैं।
आँख चुराने को अक्सर,
टूटा वादा कहते हैं।
तू कह दे जो दिल में है,
लोग फसाना कहते हैं।
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