ग़ज़ल

पास तो आओ मत शरमाओ,
दूरी दिल की नहीं बढ़ाओ।

कह दी बात मसखरी में कुछ,
भूलो उसको मान भी जाओ।

कुछ दिन की है बात जुदाई,
कट जायगी खैर मनाओ।

दूर रहे हम जिनके कारण,
अफवाहों को परे हटाओ।

चंदा मामा दूर ही रहना,
वरना आओ खीर पकाओ।

दिल की बातें रखना दिल में,
इतनी पीना बहक न जाओ।

अभी कबीर बने हैं हम तो,
लो कहते हो गीत सुनाओ।

बन्जारों की बस्ती में अब,
नित्य नये हथियार बनाओ।

आओ अब तुम मीत हमारे,
एक बार फिर गले लगाओ।

तुम ऐसा भी कर सकते हो,
दिल है दिल का मेल कराओ।

एक बार ही वह सम्हला है,
हिम्मत उसकी जरा बढ़ाओ।

हम में तुम में सब में है वो,
उसको दिल से न बिसराओ।

© अंजना छलोत्रे ‘सवि’

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