दाईजा

(भाग 3)

कुछ दिनों से शिप्रा ने ध्यान देना शुरू किया कि क्लास में नचिकेत उसे ही देखता रहता है। न तो वह क्लास में सवालों पर जवाब देता है और न ही शयद पढ़ाई में मन लगता है उसका, हमेशा उसकी आँखें शिप्रा पर टिकी रहती हैं, क्लास में नजरें टकराने पर शिप्रा को अजीब महसूस होने लगा है। वह पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुका है, डबल पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए वह क्लास अटेंड करता है।

नचिकेत के कपड़ों का चयन अच्छा है, चेहरा काफी आकर्षक है, लड़कियाँ तितलियों सी मंडराती हैं उसके आस-पास, कद काठी सुडौल और चाल से वह किसी महाराजा का ही वारिस लगता है।

यद्यपि उसके बारे में ज्यादा जानकारी शिप्रा को नहीं है, जानना चाहती है, किंतु संकोचवश किसी से पूछ नहीं पाती, वह यह भी समझती है कि पूरी क्लास को पता होगा कि नचिकेत उसे ताकता रहता है, इसलिए भी वह नचिकेत के बारे में ज्यादा नहीं जान पाई है।

असाइनमेंट पूरा होते ही टूर पर जाने का माहौल बन गया सभी क्लासों के प्रोग्राम बनने लगे और शुरू हुआ प्रिसिंपल से मनपसंद लेक्चरर को ले जाने का जोड़-जुगाड।

शिप्रा इन सब से दूर ही रहना चाहती है। उसे पता है कि बाहर जाते ही स्टूडेंट मनमानी करते हुए नहीं रूकते और कोई ऊँच-नीच हो जाए तो टीचर की जिन्दगी पर धब्बा लग जाता है, इसलिए उसने अपने को इससे दूर ही रखना उचित समझा।

एक दिन प्रिंसिपल ने बुलाकर जब उसे स्टूडेंट की सूची व आने-जाने का व्यय दिया तो वह परेशान हो गई।

“नहीं सर, यह जिम्मेदारी मैं नहीं उठा सकूंगी, प्लीज सर।”…

“आपकी क्लास के स्टूडेंटस ने ही आपका नाम दिया है, उन्हीं से मना
करें आप,”…प्रिसिंपल ने कहा।

“देखिए सर, अभी मैं नई हूँ, यह जिम्मेदारी फिलहाल नहीं ले सकती।”…शिप्रा ने अपना पक्ष रखा।

“कभी न कभी तो लेनी होगी।”…

“किंतु सर,”…

“स्टूडेंट्स से बात करों,”… कहकर प्रिसिंपल ने फाइल उठा ली।

शिप्रा, बुझे मन से क्लास रूम की तरफ बढ़ गई। कैसे स्टूडेंट हैं मुझसे पूछा तक नहीं। क्लास में पहुँचते ही शिप्रा ने अपने न जाने की बात कही तो कोई भी कुछ कहने के लिये सामने नहीं आया।

“मैं, आप लोगों के साथ नहीं चल पाऊँगी, अपने लिए कोई और टीचर चुन लें, जो आपको ले जा सकें,”… कहकर उसने टेबल से अपनी फाइल उठाई ।

“आप हमारे साथ चलकर तो देखें, तभी तो आप निर्णय ले पाएंगी कि आप हमारे साथ चल सकती हैं या नहीं।”…यह सरारती सितांशु बोला।

यह हाजिर-जवाब लड़का हमेशा परेशान करता है, शिप्रा ने सोचा।

”नहीं सितांशु, आप लोग इस टूर के लिये मुझे माफ करें।“…

“आप नहीं जाएंगी, तो हम भी नहीं जाएंगे,”… नेहा बोली।

”हमारे घर वाले आपकी वजह से ही जाने की अनुमति दे रहे हैं,“… जूही बोली।

”प्लीज, मैडम,मान जाइए, हम वादा करते हैं कि आपको परेशान नहीं
करेंगे, क्यों साथियों ? मैं सच कह रहा हूँ ना,”… सितांशु बोला।

सभी ने एक साथ डेक्स पर थाप देते हुए समवेत स्वर में बोले।

“प्लीज मैडम आप चलिए ना।”…

“प्लीज मैडम,…प्लीज मैडम,”…की ध्वनि के सामने शिप्रा को समझ नहीं आ रहा कि क्या कहे।

इस दौरान नचिकेत न तो कुछ बोला, न ही स्टूडेन्ट के आग्रह में शामिल हुआ। शिप्रा की नजर जैसे ही मिली तो लगा कि आज उसकी आँखें उससे मनुहार कर रही हैं। वह नजरें नीची किये ही क्लासरूम से निकल गई।

क्रमश:…

©A

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