समुद्र तुम

शांत समुद्र को
हवा ने मथ दिया
भयंकर गड़गड़ाहट
बिजली के साथ
हवा ने चीख़ना
कराहना शुरू कर दिया
छोटे बड़े सभी पेड़ों को
झकझोर कर रख दिया
किसी को जड़ से उखाड़ा
तो किसी-किसी का गुरुर छुका
बारिश घनघोर धुंध ने
सारा ब्रम्हाड ढंक लिया
लहरें क्रोध में छलांग लगा रही
पक्षी रो रहे हैं
शहर गाँव दहशद में
भूमि को कुड़ा करकट
का कंबल उड़ा दिया
प्रलय में सब कुछ नष्ट
समुद्र आज जंगली हो गया
तुम भी
अपनी कठोर पाठशाला
खोलकर बैठ गये
शक्तिशाली धरा का थप्पड़
होश में आते तुम
तब तक रात गुजरी
सूरज चमक उठा और
सारी प्रकृति मुस्कुरायी
तूफान का भयानक दृश्य
तहस नहस कर दिया
दिल दहले, चाहे थर्राये
लेकिन यह जीवन की सुबह
फिर आशा लेकर आई
प्रकृति शक्तिशाली है
हमें इसका सामना
करना सीखा गई।

©A

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *