यूँ भी होता है कुछ भला करना,
कुछ नहीं है तो बस दुआ करना।
चाहतों का न दौर हो ना सही,
पर अदावत की मत खता करना।
खुद पे विश्वास बस रखो जग में,
कुछ न औरों से आसरा करना।
आजकल जैसे साथ हो मेरे ,
उस तरह ग़म में भी रहा करना
मानते हैं कि हमसे रूठे हो,
अब न सपनों में ही रहा करना।
©A
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