As a remorse बतौर पछतावा

शिवा का बहुत सा धन खर्च हो गया कर्ज में डूबता जा रहा था लेकिन झुकने को तैयार नहीं।

मुकदमे पर मुकदमा चलता रहा न ही जमीदार का लड़का शिवा पीछे हटा, और न ही जानकी का बेटा जीवन, शिवा को लगता है कि पिताजी ने क्यों जीवन को अपनी जमीन मुफ्त में दे रखी है।

गाँव वालों ने शिवा के वयोवृद्ध पिता को यह बात बताई तो वह कसमसा कर रह गये। बहुत दिनों तक सोचते रहे, किस तरह वह शिवा को समझाये।

“शिवा, तुम जीवन पर से केस उठा लो और जमीन वापस कर दो,”..एक दिन बेटे को बुलाकर पिता ने कहा।

“मैं कारण जानना चाहता हूँ पिताजी, आप ऐसा क्यों कह रहे हैं,”… शिवा ने पूछा।

“मैं, कह रहा हूँ इतना काफी है तुम्हारे लिए,”… पिता ने सख़्त लहजे में कहाँ।

“फोकट में अपनी जमीन दे रखी है आपने, अब यह सब नहीं चलेगा, बहुत साल मजे कर लिए उन लोगों ने अब मैं अपनी ज़मीन वापस लेकर रहूँगा,”,… शिवा ने पिता की उपेक्षा करते हुए कहा।

“सुनो शिवा,” वृद्ध पिता की याचना भरी आवाज आई। जीवन पर मुकदमा चल रहा सुनकर ही वह असहज हो गये थे । आपने वादें से मुकरना उन्हें अंदर तक आहत कर गया है।

“क्या सुनना बाकि है,”…शिवा तिरस्कार भरे शब्दों से बोल। शिवा भी आज कठोर हो ही गया।

“शिवा, वह तेरा भाई है,”.. पिता कहते-कहते एक तरफ लुढ़क गये।

शिवा पिता को संभालने दौड़ा तो उनका दिमाक तेजी से काम किया उसने नजरे घुमाकर चारों ओर देखा, यह बात किसी और ने तो नहीं सुनी।

पिता की नब्ज टटोली तो कोई हलचल नहीं है, इस अप्रत्याशित आघात से शिवा हिल गया, वह कभी अपने पिता से माफी मांगता, तो कभी उन्हें उठने के लिए कहता। उसे लगता उससे यह सब क्या हो गया, क्यों उसने पिता के सामने अपनी जबान खोली, किस मनहूस घड़ी में वह यह हिम्मत कर गया, शिवा अपने को ही लानत देता रहा।घर के सभी सदस्य इकट्ठा हो गये। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि शिवा ऐसा क्यों कह रहा है।

आपने पिता के सामने नतमस्तक हो पछतावे के बतौर शिवा ने जीवन पर से केस वापस ले लिया।

गाँव वाले जान ही नहीं सके कि इतनी कट्टर दुश्मनी होने पर भी शिवा ने मुकदमें से हाथ कैसे खींच लिया।

©A

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *