Gajal ग़ज़ल

ग़ज़ल

हमारे साथ सरमाया हमारा,
लगे, जैसे हो माँ जाया हमारा।

टिकी हैं उस पे ही नजरें हमारी,
कहाँ ये मन भी भरमाया हमारा।

समझ रक्खो बहुत बदला है मौसम,
वो गुजरा वक्त फिर आया हमारा ।

बहुत उकता गए थे भीड़ से हम,
नहीं अब पास हमसाया हमारा।

बहुत आती है माँ की याद हमको,
न बचपन लौटकर आया हमारा।

हमारी टोह लेती गर्दिशें हैं,
नहीं है साथ अब साया हमारा।

©A

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