जरा उठो तो सही

सोचते सोचते जाने कितना समय गुजर गया राजीव को, पूरे एक वर्ष तो यूँ ही घर की इस खिड़की पर प्रतिदिन बैठकर गुजर गये है, जिंदगी में कितना उतार-चढ़ाव आया, … Read More

खेल तमाशा

“पता है बुढ़ापे में पैसों को किस तरह व्यवस्थित करना है उसके लिए पेपर में एक विज्ञापन आया है , न्यू मार्केट में पांच दिन की अकाउंट क्लास लग रही … Read More

ठान लो

रजनी ने अपने बच्चे न होने के गम को कम करने के लिए जेठानी सावित्री के बच्चों के साथ बांट लिया था। सावित्री भी अपना छोटा बेटा पंकज को उसके … Read More