Ye Jindagi ऐ ज़िन्दगी

ऐ ज़िन्दगी…. …आज सूरज की लाली मेरे कानों में चुपके से यह कह गई है कि तुम्हारी सखी सो रही है तुम कहो तो मैं उठा आऊँ, ….अपनी रेश्मी किरनों … Read More

Ye Jindagi ऐ ज़िन्दगी

…यह किस तरह की हो गई हूँ मैं, खुद के संभाले नहीं संभल रही हूँ, यह दिल बार-बार अचानक से क्यों तेज-तेज धड़कने लगता है, कभी बेचैन होती हूँ, तो … Read More