ग़ज़ल

सपने ही देखे हमने भीगी शाम से पहले,हमेशा रास्ता देखा तेरा अंजाम से पहले। किताबों में है सूखे प्यार के तोहफे कई रखे,उन्हें सहला ही लेते हैं तुम्हारे नाम से … Read More

ग़ज़ल

सब्र का मीठा फल निकलेगा,जब मिलने का पल निकलेगा । सोना जिसको हम समझे थे,वो खोटा पीतल निकलेगा । धोका उसकी फितरत में है,सम्हलो वह तो छल निकलेगा । रहबर … Read More

ग़ज़ल

रूठते हैं तो मना लो हमको,अब तो सीने से लगा लो हमको. कब से बोले मुंडेर पर कागा ,आज वादों से ना टालो हमको . हट गए राह के पत्थर … Read More