Gajal ग़ज़ल
अगर दर्पण में कल वह चाँद सा चेहरा नहीं होता,कसम से इस कदर हमने उसे चाहा नहीं होता । हमारा तुमसे भी कोई कभी रिश्ता नहीं होता,तो दिल ने इस … Read More
अगर दर्पण में कल वह चाँद सा चेहरा नहीं होता,कसम से इस कदर हमने उसे चाहा नहीं होता । हमारा तुमसे भी कोई कभी रिश्ता नहीं होता,तो दिल ने इस … Read More
ग़मों के दौर अभी और बढ़ने वाले हैं,न मंजिलें हैं नजर में न कुछ उजाले हैं । कहें भी क्या उसे, डर रूठने से लगता है,कि उसने चेहरे कई अपने … Read More
है ख़जाना पास ख़ुशियों का मेरेकुछ पुरानी याद से नाता रहा । आज़माने को बहुत कुछ था मगरजो जूनूं का दौर था जाता रहा । बेवफ़ा इक बार तो तू … Read More
तुमको हर हाल में यूँ अपना बनाया हमने,हौसला अपना ही हरचंद बढ़ाया हमने । राह जब हमने समर्पण की चुनी है तो कहो,प्यार में तेरे कहाँ सर न झुकाया हमने। … Read More
कसमों को अब निभा दें चलो हम मिला के हाथ,मेहनत से गुल खिला दें चलो मिला के हाथ। जब कश्तियाँ लहर की तरफ से निकल गईं ,नाविक को भी सँभालें … Read More
ये सारा ज़माना हमारा हुआतुम्हें रूठना बस गवारा हुआ । हमी ख़्वाब में बात करते रहे,न तेरी तरफ से ही इशारा हुआ सहर-शाम चौखट तेरी थाम कर,कि रोया मेरा दिल … Read More