ग़ज़ल
सब्र का मीठा फल निकलेगा,
जब मिलने का पल निकलेगा ।
सोना जिसको हम समझे थे,
वो खोटा पीतल निकलेगा ।
धोका उसकी फितरत में है,
सम्हलो वह तो छल निकलेगा ।
रहबर की है बात निराली,
वह तो सदा अटल निकलेगा ।
दुनियादारी चलो निभा लें,
वरना मौका चल निकलेगा ।
तेरा हरदम साथ रहा तो,
हर मुश्किल का हल निकलेगा ।
© अंजना छलोत्रे