Gajal ग़ज़ल
है ख़जाना पास ख़ुशियों का मेरे
कुछ पुरानी याद से नाता रहा ।
आज़माने को बहुत कुछ था मगर
जो जूनूं का दौर था जाता रहा ।
बेवफ़ा इक बार तो तू सोचता
अपना तो बस प्यार से नाता रहा ।
दिल में यूँ घर कर गईं खुद्दारियाँ
फाकामस्ती में मज़ा आता रहा ।
साथ ख़ुशियों ने दिया था कब मेरा
जिंदगी का दर्द से नाता रहा ।
©अंजना छलोत्रे