Gajal ग़ज़ल
रास्ता तेरे घर का मिले तो कभी
बात बिगड़ी कोई फिर बने तो कभी ।
ग़मजदा हूँ मैं दिल में छुपा ले मुझे,
यह कली मेरे दिल की खिले तो कभी ।
इन अंधेरों में रस्ते मेरे खो गए,
सुबह की रोशनी फिर दिखे तो कभी ।
प्यार ऐसा मिले रूह भी खिल उठे,
दिल का दीपक हमारे जले तो कभी ।
ढूंढने पर यकीं है मिलेगा खुदा,
जुस्तजू कोई दिल से करे तो कभी ।
नफरतें रोपते वक्त यह सोचते,
प्यार का गुल यहाँ पर खिले तो कभी ।
हर कदम पर जहाँ में है कांटे बिछे,
प्यार की राह दुनिया चले तो कभी ।
दर्द की अब तो है इंतहा हो गई,
तुम मिलोगे इशारा मिले तो कभी।