Gajal ग़ज़ल
कभी आईने की सुना करो
कभी खुद भी खुद से मिला करो ।
हैं सफर में ऐसे मुकाम भी
मिले जब भी वक्त भला करो ।
जो बिछाये पलकों को राह में
कभी उनकी बात सुना करो ।
न करो मलाल जो कुछ गया
न कभी किसी का बुरा करो ।
है शिकायतें भी बहुत मगर
मेरे फिर भी दिल में रहा करो ।
न उजाड़ देना यूँ बाग को
इसे सींच फिर से हरा करो ।
जो है बिगड़ी बात बनेगी वो
ज़रा साथ मिल के चला करो
है कठिन निबाह ‘सवि’ यहाँ
यां फरेब से भी बचा करो ।
©A