Kyoan क्यों
खुसफाहमी
की चाहते
पालती
जवान हुई
सपनों की एक
पोटली बंधी
प्रसाधनों से
भर ली
श्रृंगारदानी
शबनमी
रुत छाई
नयनों बीच
मुस्कान
अटककर
रह गई
जरा सा
आंचल क्या
लहराया
लाज ने
परचंम
फहराया
आगे पीछे,
आड़ी तिरछी
हर कोण
से तराशा
कहीं से भी तो
बुरी नजर
नहीं आई
मासूमियत
देती गवाही
आज फिर
मन मुस्काया
अनुभव का
अजीब दर्पण
झूठ चाशनी
लपेटे
रूप का ऐसा
बखान
सुनकर
तारीफ भी
गले में
चुभ रही
दिखावे ने
फैला दी
चादर
सारी खुशीयाँ
अनजाने खौफ से
हवा में उड़ रही ।
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