Ye Jindagi ऐ ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी,…
आज रुत भी कुछ अलसाई हुई हैं ..वह भी होले होले अगडाई ले रही हैं, सारा दिन चलकर सूर्य भी रात की खुमारी से भरा है रेश्मी किरणों की बैछार कर रहा हैं…जो हमें परम आनन्द प्रदान कर रहा हैं..वह उठेगा जरूर क्योंकि चलकर ही मंजिल मिलेगी….
ऐसे ही हमें भी संघर्षों की लंबी श्रृंखला अपने माता-पिता भाई-बहन रिश्तेदारों के मध्य ही मिल जाएगी, सोचना यह है कि इन सब लोगों के जीवन का निचोड़ क्या है, और क्यों , किस लिए इन्होंने अपनी क्षमताओं को दबा दिया …हर व्यक्ति की अपनी विशेषता है , किसी में कम, किसी में ज्यादा , बस लगातार प्रयास ही आपकी क्षमताओं को निखारता है और अगर आपने ठान लिया तो आप वह कर जाएंगे जो आपके परिवार में किसी ने नहीं किया ।
तो हे प्रिये, …..मन की शांति ओर जीवन के उल्लास के लिए ईमानदारी अपने प्रति रखना यह एक ऐसा कार्य है, जिसके लिए आपको किसी को जवाब नहीं देना है , इसका फायदा नुकसान स्वयं भुगतना है और इस पर चलना भी आपको ही है…..हम सफर में साथ है लड़खड़ाने नहीं देगे….पूरी सावधानी से अपने को सुरक्षित रखो…तो फिर पूरे जोश से उठो…….
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