Gajal ग़ज़ल

रोग छूटे ऐसी दवा दीजिए
अब शिफा की दुआ दीजिए

दिल में नफ़रत न बाकी रहे
दूरियों को मिटा दीजिए।

प्यार करने को लम्हे हैं कम
सारे शिकवे भुला दीजिए

नाव मझधार में जा फंसी
अब किनारे लगा दीजिए

आपके बिन तरसते नयन
बेसबब मत सज़ा दीजिए

हमने सोचा हैं रूठे सनम
क्या है सच ये बता दीजिए।

©A

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