These are the customs दस्तूर यही हैं
दस्तूर यही है
इंद्रधनुष के सात रंग
मिलजुल पानी संग
उत्सव मनाते,
बसंत बहार झूम कर
रंग बिरंगे मनभावन
फूल बिछाते,
सूर्य प्रकाश ले
हाथों में
चारों दिशाओं
को चमचमाते,
चंद्रदेव शीतलता संग
दुशाला ओढ़े
घनी काली
रात डराते,
गर्जन तडकन के साथ
सिरहन ले यामिनी
धरा पे चमचमाती उतरे,
मेघ छतरी सम्हाले
आकाश बुहारे
पक्षी पंखों से अपने
पंखा झलते,
घर के अंदर
स्वादिष्ट व्यंजन से
अग्नि देव
तृप्ति की चौपालों पर
उदर भरते,
निर्मल सुगम
अनोखे ये जीवन के
हर पल में
प्रकृति से स्त्रोत झरते,
कर लो वरण
दस्तूर यही है
हर दिल ही तो मचलते
तभी खुशियाँ के मेले सजते…
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