आसमान बुनती औरतें

भाग (100)

“बहुत सही कह रही हो राखी, हम जितना समाज को समझने की और जानने की कोशिश करते हैं मुझे तो हर रिश्तें में उलझन ही उलझन नजर आती है लेकिन ईश्वर ने इन उलझनों के साथ ही एक ऐसा आनंद छुपा रखा है जिसको जीने के लिए इंसान लालायित रहता है और हर परेशानी, दिक्कत के बाद भी वह आनंद उठाना चाहता है यह अनोखी विडंबना है हम हर बात से परेशान होते हैं लेकिन हम साथ रहने, एक दूसरे को सहयोग करने और एक दूसरे के लिए फिक्रमंद रहने के लिए बाध्य भी हैं यही तो ईश्वर का एक अनोखा रिश्ता बनाया हुआ है, अनोखी बात ईश्वर ने इंसान के अंदर डाली है जिससे वह गुजरकर अपनी जिंदगी का हर पल गुजरता है।”…हर्षा बोली।

“अरे तुम दोनों तो इतने बड़े-बड़े विषय रखने लगी हो कि मैं तो खुद सोच में पड़ गई हूँ कि तुम लोग जो कह रही हो बिल्कुल सही कह रही हो, देखो अब हम भाई बहनों के बिना नहीं रह पाते चाहे जितना भाई हम से लड़ ले, मां की बहुत सी बातें हमें पसंद नहीं आती फिर भी हमें शाम को मां ही चाहिए, दोस्तों के बिना हम से रहा नहीं जाता कई बार हम आपस में अपने विचार में तालमेल नहीं बिठा पाते लेकिन इसके बाद भी हम मिलने के लिए बेचैन रहते हैं यह जो बात कही तुमने हमने तो इन छोटी-छोटी बातों पर तो कभी विचार ही नहीं करते और जिंदगी जिये जाते हैं जबकि ईश्वर ने हमें दिमाग और समझ दोनों दी है कि हम जीवन को सुगम बनाने के लिए सोच समझकर इस्तेमाल कर सकते हैं।”… स्नेहा ने भी अपने ज्ञान का पिटारा खोला।

“वाह स्नेहा, हम दोनों की बात सुनकर तुझे इतना ज्ञान प्राप्त हो गया कि तुमने इतनी बड़ी और इतनी उलझी हुई बात को इतनी सरलता से कह दी वाकई संगत का असर तो पड़ता ही है ।”…कहती हुई राखी मुस्कुरा दी।

“यह सब छोड़ो यह बताओ क्यों जरूरी है जीवन में जीवन साथी क्या बाकी के रिश्ते खत्म हो जाते हैं या फिर कुछ और बात है ?”…स्नेहा ने पूछा।

“सभी अपनी-अपनी जिंदगी में व्यस्त होते हैं सभी का अपना परिवार होता है और अपनी व्यस्तता के लिए आपको अपना परिवार बनाना पड़ता है तभी तो आप उसके साथ आपने से जोड़ते हैं हम ऐसे ही तो नहीं जुड़ पाते, इसलिए हमें जीवन को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नया करने के लिए और अपने परिवार को बढ़ाने के लिए भी जीवन साथी की जरूरत होती है।”… राखी ऐसे बोल रही है जैसे खुद अपने आप को समझा रही हो।

“राखी तुम तो बहुत अच्छे से समझ गई वाकई भाग्यशाली है जो तुम्हें रमन का साथ मिल रहा है।”…हर्षा बोली।

“एक बात तो समझ में आ गई कि जब हमको अपने जन्मदाता, भाई बहनों से ज्यादा प्यार करने वाला मिलता है तभी हम इन लोगों के विछोह को बर्दाश्त कर पाते हैं वरना हम बहुत आसानी से अपने परिवार को नहीं छोड़ सकते।”… राखी बोली।

“यह सब एक उम्र का ही तकाजा होता है इसके बाद इंसान की समझ विकसित होती है और वह सही गलत का अनुमान लगाता है तभी तो इतने सारे कोर्ट खुले हैं जो पारिवारिक मुद्दों को सुलझाने का काम करते हैं और कई परिवार बच्चों के बाद भी एक दूसरे से अलग रहते हैं तब समझ भी विकसित होती है और वहीं पर आपको अपना वजूद, और अपनी उपस्थिति का अंदाजा होता है मैं नहीं मानती यह सब बहुत आसान है।”… स्नेहा बोली।

“बात तो बहुत हद तक सही है स्नेहा तुम्हारी, अब मुझे ही ले लो मम्मी जी को उस घर से निकालने के लिए जो जद्दोजहद करनी पड़ी है और मम्मी के अंदर जीने का उत्साह भरना पड़ा है यह जीवन का दूसरा पहलू भी तो है।”… हर्षा कुछ सोचते हुए बोली।

“पग-पग पर जिंदगी इम्तिहान लेती है और हमें हर पल उसमें पास होना है और शायद जिंदगी का यही उसूल है आपको हरदम उससे जुझने के लिए तैयार रहना होगा, हम बहुत सोच समझकर चाहे जितना भी कोई रिश्ता बना ले हम इतनी समझ तो नहीं रखते और न हमें यह पता है कि आगे जाकर क्या होने वाला है हम उसको सरल बनाने की कोशिश कर सकते हैं उसे बदल नहीं सकते।”… राखी बोली।

“हर्षा, यह सब सुनने के बाद तो मेरा दिल ही घबराने लगता है हमेशा लगता है कि मैं तो बहुत ही कमजोर हूँ इन सब मामले में, शायद जिंदगी का सामना ही न कर सकूँ मुझे तो अपने आसपास भाई बहन, मां बाप चाहिए जो मुझे हर परेशानी से बचाते हुये चलते रहे मुझे खुद कुछ न करना पड़े।”…स्नेहा बोली।

“ऐसा होता नहीं है स्नेहा, हमें जीवन में अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है और यह ताकत भी जीवन ही देता है कोई और नहीं देता, हां कभी-कभी सलाह की आवश्यकता होती है तो परिवार और दोस्त से मिलती हैं और जो उचित लगता है वही सलाह माननी भी चाहिए अगर हम इस पर गहन चिंतन करें तो यह बहुत उलझा हुआ विषय है लेकिन बिना चिंतन के इस राह पर चलते चले तो जिंदगी चलती जाती है, समस्याएँ आयेगी, जायेगी और सुलझ भी जायेंगी।”…राखी ने स्नेहा के दिल से डर निकालने के लिए कहां।

“अरे बस करो, वह देखो गेट की तरफ रानी आ रही है।”… हर्षा ने विषय का रुख बदलते हुए कहां।

क्रमशा:..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *