आसमान बुनती औरतें
भाग (101)
तीनों का ध्यान उद्यान के मुख्य द्वार की ओर है रानी अपनी चिर-परिचित चाल में चली आ रही है उसके चेहरे पर कोई घबराहट, कोई बेचैनी नहीं है बिल्कुल शांत ऐसी है मानों उसे कोई लेना देना नहीं, सारी बेचैनी और घबराहट उसने इन तीनों को देकर खुद बेफिक्र हो गई है ।
“अब देख लो, लग रहा है रानी के चेहरे पर कोई शिकन है या उससे कोई परेशानी है और पूरा दिन हम लोग उसी की चर्चा करते हुए उसी की फिक्र में परेशान हुए।”… राखी बोली।
“हो सकता है वह समझ ही नहीं पा रही हो, उसके अंदर बहुत कुछ चल रहा हो।”… हर्षा बोली।
“मुझे तो लग रहा है कि बात कोई ज्यादा बड़ी नहीं है पर यह महारानी ने उसको हमें बता कर बड़ी कर दी है।”… स्नेहा भी कहां चुकने वाली हैं।
“क्यों कयास लगा रही हो, आ तो रही है वह, पूछ लेते हैं तब तक तो शांत रहो उससे ज्यादा तो तुम को बेचैनी हो रही है।”… हर्षा ने शांत करने के लिए कहा।
तब तक रानी मुख्य गेट से दाई तरफ बढ़ चुकी है और उसने यह कहां बैठे है देख लिया, इसी तरह बढ़ी चली आ रही है।
“अच्छा सुनो पहले हम उसकी सुनेंगे, हमें परेशान नहीं होना है, उससे पहले पूरी बात सुन लेते हैं हो सकता है वह भी सुनाने के लिए बेचैन हो।”… राखी ने सुझाव दिया।
“हाँ ठीक है हम लोग कुछ देर चुप रहेंगे पहले उसी को बोल लेने देंगे तभी तो समझ सकेंगे की समस्या कितनी बड़ी है ।”… स्नेहा ने स्वीकृति दी।
“आ जाओ रानी, हम यही पर हैं।”… स्नेहा ने आवाज लगाई।
“माफ करना मैं बहुत लेट हो गई, ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए निकलने में देरी हो गई, मैंने सोचा जरूर कि तुम लोगों को फोन करके बता दूं फिर सोचा तुम तीनों बोर नहीं होंगी इसलिए नहीं किया।”… उन तीनों के सामने बैठते हुए रानी बोली।
“पहले पानी पी लो, सहज हो लो, हम आपस में ही बातें कर रहे थे इसी बहाने बहुत समय बाद बैठने को मिल गया।”… हर्ष ने उसकी तरफ पानी की बोतल बढ़ाते हुए कहां।
कुछ देर तीनों रानी को गौर से देखती रही पानी पीकर जब वह थोड़ी सहज हुई उसने अपने पर्स से एक तस्वीर निकाली और सामने रख दी इस तस्वीर में एक पूरे परिवार की फोटोग्राफ्स जैसे फैमिली फोटो होती है वह है।
“यह क्या है रानी, यह तुम्हारे घर फोटो हैं अरे नहीं किसी और की लग रही है, तुम्हारे किसी रिश्तेदार के परिवार कि हैं।”… स्नेहा ने गौर से देखा उसे इस फोटो में ऐसा कुछ विशष लगा नहीं।
क्रमश:..