आसमान बुनती औरतें
भाग (103)
“सोचना तो पड़ेगा एक बात बताओ रानी तुम्हें क्या कह कर आंटी ने यह फोटो दिया है।”… हर्षा ने पूछा।
“मुझे आज सुबह ही यह फोटो दी है और कह दिया गया है कि यह जो लड़का है इससे तुम्हारी शादी तय हो गई है और हम तुम्हारी शादी कर रहे हैं मुझसे कुछ नहीं पूछा फोटो मेरे हाथ में थमा दी गई ।”… रानी बोली।
“ऐसे कैसे ! तुम्हें पसंद है या नहीं, कुछ नहीं पूछा आंटी ने।”… स्नेहा ने पूछा।
“अरे कैसे पूछती, इसके विचार शुरु से वैसे भी उग्र रहे हैं उन्हें मालूम है यह मुँह पर जवाब दे देंगी इसलिए उन्हें जो भी उचित लगा उनने कर दिया, याद करो हम तुम्हें पहले से ही समझा रहे थे कि इस विषय पर ज्यादा मत बोला करों, कम से कम सोचने समझने का मौका तो मिलता, अब अगर बड़ों ने निर्णय कर लिया है तो तुम कुछ नहीं कर पाओंगी यही हो सकता है कि हम उसके बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी करे।”… राखी ने बात को विस्तार दिया।
“जानकारी इकट्ठी करने के बाद भी क्या होगा, अगर सही निकली तो कोई बात नहीं पर अगर गलत जानकारी मिली तो क्या यह आंटी अंकल के सामने विरोध कर पायेगी, अगर यह विरोध करने को तैयार हो तो जानकारी एकत्रित करो वरना क्या मतलब है।”… स्नेहा बोली।
“यह बात तो है, फिर से सब लोग एक बार फोटो देखो अगर लड़का ठीक लगता है तो छानबीन की जा सकती है अगर कोई भी बुराई निकलती है तो रानी तुम्हारी जिम्मेदारी होगी कि तुम विरोध करो क्योंकि हमारी कोशिशें व्यर्थ नहीं जानी चाहिए।”…हर्षा ने कहां।
“मैं तो आज वैसे भी सदमें में हूँ कुछ सोचा नहीं था रहा था इसीलिए तो तुम लोगों को बोलकर बेफिक्र हो गई थी जैसा-जैसा कहोंगे मैं वैसा ही करूँगी और विरोध की बात तो तुम छोड़ दो इसके लिए मैं कुछ भी कर गुजर लूँगी।”… रानी बोली
“यह तो ठीक है लेकिन अगर कोई कमी नहीं निकली तो तुम्हें आंटी अंकल की बात माननी ही पड़ेगी इस बात के लिए भी तैयार हो ।”…राखी ने पूछा।
“हाँ ठीक है न तुम लोग जैसा कहोंगी वैसा करुँगी, विरोध नहीं करूँगी।”… रानी का गला भर आया ।
क्रमशा:..